History of the earth in simple language

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The earth

इस पोस्ट में हम अपने इस ग्रह यानी पृथ्वी के बारे में जानेंगे। इसमें हम पृथ्वी के इतिहास के बारे में जानेंगे जिसे हम (history of the earth) भी कहते हैं। यह किस तरह बनी, कब बनी, किस तरह जीवों का जन्म हुआ, ओर भी बहुत कुछ आज हम जानेंग

1- पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ (How was the earth formed): पृथ्वी के जन्म के बारे में अगर बात की जाए तो सबसे पहले हम  Big-Bang Theory को जानते हैं। बिग बैंग थ्योरी से हमें पता चलता है कि शुरू में ये सारा ब्रह्माण्ड छोटे छोटे गोलक परमाणु के रूप में एक ही जगह स्थित था जिसका आयतन बहुत कम ओर तापमान बहुत ज़्यादा था। बहुत ज़्यादा संकेद्रण के कारण अचानक एक बहुत बड़ा धमाका हुआ जिसे  Big-Bang कहा जाता है।
इस अचानक हुए धमाके से हमारा सूरज भी वजूद में आया ओर बाकी छोटे छोटे पदार्थ चट्टान जैसे ब्रह्माण्ड में घूमते रहे। बाद में ग्रैविटी के कारण वो आपस में एक दूसरे से जुड़ते रहे ओर इसी तरह हमारे सौर मंडल का निर्माण हुआ।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बिग बैंग 13.7 अरब साल पहले हुआ था। लेकिन समय का अंदाज़ा सही है या गलत यह कहना मुश्किल है। बताया जाता है कि पृथ्वी के निर्माण के समय इसका तापमान 1200 डिग्री था। जन्म के समय हमारे सौर मंडल में 100 से भी ज़्यादा ग्रह थे जो सूरज का चक्कर लगाते थे लेकिन समय के साथ काफी ग्रह ख़तम होते गए ओर कुछ आपस में टकरा कर एक दूसरे से जुड़ते गए। साथ ही पृथ्वी में आयरन ओर कॉपर भी मिलते गए। कुछ समय बाद मंगल ग्रह जितना बड़ा एक चट्टान जैसा पदार्थ पृथ्वी से टकरा गया। जिससे हमारी पृथ्वी का कुछ हिस्सा टूट कर अंतरिक्ष में बिखर गया। जिससे कि हमारी पृथ्वी को एक उपग्रह मिला जिसे हम चांद कहते हैं। शुरू में पृथ्वी से इस तरह की बहुत टक्करे हुई थी जिससे कि पृथ्वी की सतह पिघली चट्टानों की तरह दिखाई देती थीं। बाद में इस तरह के धमाकों का होना कुछ कम हुआ। इसके बाद पृथ्वी की सतह ठंडी होकर मजबूत रूप लेने लगी।
वायुमंडल में मौजूद वॉटरवे पर धीरे धीरे बादल बनने लगे ओर भारी बारिश होने लगी। बहुत सालों तक हुई बारिश से पृथ्वी पानी से भर गई ओर महासागर का जन्म हुआ। वैज्ञानिकों के मुताबिक आज से 4.5 अरब साल पहले महासागर में जीवों का जन्म हुआ, जो सिर्फ पानी में रहते थे। ओर इसके बाद ऐसे जीवों ने भी जन्म लिया जो ज़मीन ओर पानी दोनों पर ज़िंदा रह सकते थे। बहुत सालों बाद एक विशाल जीव यानी डायनासोर का जन्म हुआ। डायनासोर ने भी पृथ्वी पर बहुत सालों तक राज किया। फिर अचानक हमारी पृथ्वी से एक विशाल चीज़ टकराई जिससे बहुत बड़ा तूफान आया ओर डायनासोर दुनिया से ख़तम हो गए।
उनके बहुत सालों बाद ज़मीन पर शुरुआती इंसानों का जन्म हुआ। जिन्होंने आग का इस्तेमाल करना सीखा, जीवन जीने के लिए हर वो काम सीखा जो जीने के लिए जरूरी था।



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2- पृथ्वी की गतिशीलता (Mobility of the earth): history of the earth से यह बात भी सामने आती है कि पृथ्वी की दो तरह की गतियां है।
1 : घूर्णन  (rotation)
2 : परिक्रमण (revolution)
1: घूर्णन - पृथ्वी हमेशा अपने अक्ष पर West से  east की ओर घूमती रहती है जिसे पृथ्वी का घूर्णन कहते हैं। इसी के कारण दिन ओर रात बनते हैं।
2: परिक्रमण - पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ साथ सूरज के चारों तरफ एक दिर्घवृतिय मार्ग पर परिक्रमा करती है जिसे परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूरज की एक परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन 6 घंटे का समय लगता है।
जब पृथ्वी सूरज के सबसे ज़्यादा पास होती है तो उसे उपसोर कहते हैं। ऐसा 3 जनवरी को होता है। इस स्थिति में पृथ्वी और सूरज के बीच की दूरी  14.70 करोड़ किमी होती है।
जब पृथ्वी सूरज से सबसे ज्यादा दूर होती है तो उसे अपसोर कहते हैं। ये स्थिति  4 जुलाई को होती है। इस स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी  15.21 करोड़ किमी होती है।


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3- पृथ्वी के बारे में 10 बड़ी सच्चाई (top 10 facts about the earth):
1 : यह आकार में पांचवां सबसे बड़ा ग्रह है।
2 : यह सौरमंडल का एक ही ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव है।
3 : इसका विषुवतिय व्यास  12,756 किमी और ध्रुवीय व्यास  12,714 किमी है।
4 : यह अपने अक्ष पर West से east की ओर  1610 किमी की चाल से  23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड में एक पूरा चक्कर लगाती है। इस गति से दिन-रात होते हैं।
5 : पृथ्वी को सूरज की एक परिक्रमा करने में  365 दिन  5 घंटे  48 मिनट 46 सेकंड लगते हैं जो लगभग  365 दिन 6 घंटे होते हैं। प्रत्येक सौर वर्ष कैलेंडर वर्ष से लगभग  6 घंटे बढ़ जाता है, जिसे हर चोंथे साल में लीप वर्ष बनाकर जोड़ा जाता है। लीप वर्ष  366 दिन का होता है, जिसके कारण फरवरी महीने में  28 के स्थान पर  29 दिन होते हैं।
6 : आकार और बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र ग्रह के समान है।
7 : पानी की मौजूदगी के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।
8 : इसका अक्ष इसकी कक्षा में सापेक्ष 66.5 डिग्री का कोण बनाता है।
9 : सूरज के बाद पृथ्वी के सबसे पास का तारा प्रॉक्सिमा सेंचुरी है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाशवर्ष दूर है।
10 : पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह चांद है।

नोट-: history of the earth से एक बात और सामने आती है  24 August 2006 को अंतररष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ की प्राग बैठक में खगोल वैज्ञानिकों ने प्लूटो को ग्रह मानने से मना कर दिया क्यूंकि इसकी कक्षा वृत्ताकार नहीं है और यह वरुण ग्रह की कक्षा से होकर गुजरती है। नई खगोलीय व्यवस्था में प्लूटो को बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। यह सूरज का भी निकटतम तारा है।



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